Saturday, July 25, 2015

Hard work for Malnourished children

16 दिन बाद राम-लक्ष्मन चले घर की ओर!
25 वर्षीय संदीप एवम उसकी पत्नी सविता कोल अपने जुड्वा बच्चे राम-लक्ष्मन के साथ शंकरगढ के ओसा गाव मे रह्ते है. संदीप जब महज 12 वर्ष का था तब से वह पत्थर खदान मे काम कर रहा है. जिससे वह अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण करता था यही उसके जीविका मुख्य श्रोत था. वह पिछ्ले एक साल से तपेदिक से पीडित है. जिसके कारण सूख कर कांटा हो चुका था. उसका चलना-फिरना दूभर हो चुका था जिससे उसे काम छोड्ना पडा और माली हालत बहुत ही खराब चुकी. अप्रैल 2015 मे संस्था ने स्थिति को देखते हुए उसे तत्काल सी0एच0सी ले जाया गया. जहा जाच के उपरांत डाट्स से जोड दिया गया और नियमित दवा लेने के बाद उसकी स्थिति मे काफी सुधार आया उसे लगा अब वह बेह्तर है. परंतु मुसीबत तो उसके पीछे ही पड गयी. मई 2015 मे उसके घर आग लग गयी और पूरा छप्पर धू-धू करके जल गया. संस्था के कार्यकर्ता उसके मुवावजे के लिए खंड विकास अधिकारी से मिले और एक मांग पत्र सौपा जिस पर जाच के उपरांत 3200 रुपए प्राप्त किया.
यही नही संदीप के परेशानी उसका पीछा छोड्ने का नाम ही नही ले रही उसके दोनो बच्चे गम्भीर रूप से कुपोशित थे. सविता को लगतार बच्चो के देखभाल सम्बंधी जानकारी तथा पोषण पुनर्वाश केंन्द्र चलने के लिये प्रोत्साहित किया जाता रहा परन्तु सविता हर बार यही कहती कि अकेले पति को देखे या बच्चो को इलाहाबाद ले चले. आखिरकार 2-3 माह के बाद संदीप की हालत सुधरने के बाद 6 जुलाई को एन0आर0सी0 मे भर्ती कराये गये. 16 दिन मे बच्चो के वजन मे 1.5 से 2 किलो की ब्रिधि हुई. बच्चे पह्ले से काफी बेह्तर है. सविता और संदीप आज खुस होकर अपने घर गये.  

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