स्कूल प्रबंध समिति के सदस्यों के साथ अधिगम सम्प्राप्ति पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न
सरकारी आकड़ो के अनुसार आयुवर्ग 6-14 वर्ष के बच्चों का नामांकन स्कूलों में बेशक शत- प्रतिशत के आसपास पहुँच चुकी हो परंतु शिक्षा की गुणवत्ता पर आज भी एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा है जिसे असर सहित विभिन्न रिपोर्टो में जिक्र किया जाता है। रिपोर्टो के आधार पर जहा एक ओर सरकार मानती है की बच्चों लर्निंग आउटकम कमजोर है वही जमीनी स्तर पर बच्चो की सीखने की प्रगति से अभिभावक भी संतुष्ट नहीं है. हर तरफ बच्चो के शिक्षा की गुणवत्ता पर बड़े सवाल खड़े हो रहे है दोषी कौन यह विवादित विषय है किंतु सुधार के क्या रास्तेहो यह महत्वपूर्ण है बुनियादी शिक्षा की गुणवत्ता के बेहतरी के दिशा में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् ने हर स्तर पर अधिगम के मानक तय करते हुए दिशानिर्देश जारी किया । जिसे राष्ट्रीय स्तर के साथ उत्तर प्रदेश सरकार भी परिपालन के लिए प्रतिबद्ध है। यह संदर्भ जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान इलाहाबाद में एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी द्वारा आयोजितप्रशिक्षण शिविर में रहा। प्रशिक्षण में डॉ0नवनीत ने शंकरगढ आदिवासी क्षेत्र से आये 2दर्जन से अधिक स्कूल प्रबंध समिति के सदस्यों व अभिभावकों को बच्चो के सीखने का स्तर समझाने का प्रयास किया साथ ही सीखने के स्तर को बेहतर बनाने को फोकस करते तकनीकी जानकारी प्रदान किया. इस प्रकिया में अभिभावकों की भूमिका को ब्यापकता में देखने के लिए प्रोत्साहित किया. प्रशिक्षण में ख़ासकर कलरव पुस्तक पर आधरित बहुशिक्षण पद्धतियों, बच्चो के साथ विषयगत परिचर्चा एवं संदर्भो से बच्चो को चिंतनशील बनाने के आवश्याकता बताया. उन्होंने यह भी कहा कि अधिगम सिर्फ स्कूल का विषय नहीं है अपितु यह संस्कृतिक विविधता व् रचनात्मकता से जुडा मामला है. सदस्यों ने अधिगम स्तर समझने के गुर को सीखा और कहा की वे बच्चो व स्कूल के साथ समन्वय स्थापित करते हुए काम करेंगे. अंत में संस्था निदेशक ने प्रतिभागियों को धन्यवाद व डॉ.नवनीत जी, संशाधन का उपयोग हेतु डायट प्राचार्य का आभार ब्यक्त करते हुए कार्यशाला समापन किया.
No comments:
Post a Comment